हम और हमारी जिन्दगी
आज, एकबार फिर से गिरे हैं -धड़ाम से,
आज का गिरना है कुछ खास
क्योंकि, आज के गिरने में
अंदर से टूटते हुए काँच के मानिंद
खनखनाती आवाज आई है
खनखनाती आवाज आई है
कहीं यह मेरे "दिल" की आवाज तो नहीं ?
खैर! देखा है टी.वी. में अभी-अभी - एक ऐड
'जब फेवीकिव्क है तब खिलौनों के टूटने पर दुःख कैसा'।।।