Wednesday, October 17, 2012

जब हम चंदले हुये ,,,,

छोटा सा ऑफिस
ढेर सारे काम
महत्वाकांक्षा के पालने में
झूलते सपने
और
इधर
जीवन की आपाधापी में
कब चाँद
काली कवरियां हटा
हो गया आवरण-विहीन
यह तो पता चला तब
जब सामने बैठे मित्र ने
अपने कैमरे से
अनजाने में उतार ली, हमारी ये तस्वीर.....

3 comments:

  1. chota sa kamra nhi, vichar chote or bde hote hen sir ji


    apke jase lekhak bhut km dekhe hen........

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  2. छोटा सा कमरा और बड़ा सा दिल....

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  3. श्रद्धेय अनवर साहब! अब वक्त के साथ बड़ा सा कमरा हो गया है और ज़माने के हिसाब से छोटा सा दिल...

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